राजस्थान के भौतिक विभाग – पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश

पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश:- 

  • राजस्थान के अरावली में स्थित है 
  • इसे थार का मरूस्थल भी कहते है 
  • पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश के अन्तर्गत राज्य के 12 जिले शामिल है गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, जैसलमेर, जोधपुर,  बाड़मेर, जालौर, पाली, नागौर  झुन्झुनूं, सीकर आते हैं
  • राजस्थान में थार का मरुस्थल लगभग 61% प्रतिशत भाग पर है
  • पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश का सामान्य ढाल पूर्व से पश्चिम की और तथा उत्तर से दक्षिण की और है 
  • पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश में 20 से 50 सेमी वर्षा होती है 
  • पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश को ग्रेट इंडियन डेजर्ट के नाम से भी जाना जाता है
  • पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश यह भू- भाग टेथिस सागर का भाग है।
  • पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश में 40% जनसंख्या निवास करती है 
  • पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश में शुष्क एव अत्यधिक विषम जलवायु पाई जाती है 
  • पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश में रेतीली बलुई मिट्टी पाई जाती है।
  • पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश का कुल क्षेत्रफल 1,75000 किमी में फैला हुवा है 
  • इसका आधार 2,63,688 वर्ग किलोमीटर है 
  • यह राजस्थान के दो तिहाई भाग में फैला हुवा है 
  • यहाँ रेत के विशाल टीले धोरे कहलाते है 
  • पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश को रूक्ष क्षेत्र कहा है

पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश 2 भागो में बाटा गया है 

1 शुष्क मरुस्थल

2 अर्द्ध शुष्क मरूस्थल

 

1 शुष्क मरुस्थल:- 

  • यहाँ वार्षिक वर्षा का औसत 0 से 25 सेमी वर्षा होती है 
  • शुष्क मरुस्थल 2 भागो में बाटा गया है
  1. बालूका स्तूप युक्त प्रदेश
  2. बालुका स्तूप मुक्त प्रदेश
1. बालूका स्तूप युक्त प्रदेश:- 
  • बालूका स्तूप युक्त प्रदेश:- 3 भागो में बटा हुवा है
  1. पवनानुवर्ती बालुका स्तूप / अनुदैर्ध्य बालुका स्तूप
  2. अनुप्रस्थ बालुका स्तूप
  3. बरखान या अर्द्ध चन्द्राकार बालुका स्तूप
  1. पवनानुवर्ती बालुका स्तूप / अनुदैर्ध्य बालुका स्तूप:- 
  • निर्माण :- पवन की दिशा के समान्तर 
  • विशाल व स्थाई स्तूप होते है 
  • सर्वाधिक विस्तार – पश्चिमी मरूस्थल में ( जैसलमेर, जोधपुर, बाडमेर)
  1. अनुप्रस्थ बालुका स्तूप:- 
  • निर्माण :- पवन की दिशा के लम्बवत या समकोण 
  • विस्तार :- उतरी मरूस्थल में होता है 
  • बीकानेर, गंगानगर व हनुमानगढ़ में 
  1. बरखान या अर्द्ध चन्द्राकार बालुका स्तूप:- 
  • निर्माण :- उतरी पूर्वी मरूस्थल में होता है 
  •  इसका विस्तार चूरू, झंझनू, सीकर में है 
  • सर्वाधिक -मरूस्थलीकरण है 
  • सर्वाधिक विनाशक बालुका स्तूप भी कहा जाता है 

 

2. बालुका स्तूप मुक्त प्रदेश:-
  • इसके अंतर्गत – जोधपुर का फलोदी और जैसलमेर का पोकरण शामिल है 
  • भूगर्भीय जल पटी :- जैसलमेर के पोकरण से मोहनगढ़ (जैसलमेर) तक पाई जाती है 
  • भूगर्भीय जल पटी:- को लाठी सीरीज क्षेत्र भी कहा जाता है 
  • यहाँ सेवण घास पाई जाती है 
  • जैसलमेर में चन्दन नलकूप पाया जाता है जिसे थार का गड़ा कहते है 

2 अर्द्ध शुष्क मरूस्थल

  • यहाँ वार्षिक वर्षा का औसत 25 से 50 सेमी वर्षा होती है
  •  अर्द्ध शुष्क मरूस्थल प्रदेश को चार भागो में बाटा गया है 
  1. लूनी बेसिन/ गोडवाड़ प्रदेश
  2. नागौर उच्च प्रदेश
  3. शेखावटी बेसिन
  4. घग्घर बेसिन
1. लूनी बेसिन/ गोडवाड़ प्रदेश:- 
  • इसके अंतर्गत लूणी क्षेत्र आता है 
  • लूनी नदी :- अजमेर, नागौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर (short Trick :- अपना बजाज )
  • लूनी नदी का उद्गम :- नाग पहाड़ी अजमेर से 
  • लूनी से निर्मित कच्चे पक्के कुए – बेरा कहलाते है 
2. नागौर उच्च प्रदेश:- 
  • इसमें नागौर का उतरी भाग शामील है 
  • यहाँ की विशेषता खारे पानी की झीले पाई जाती है
3. शेखावटी बेसिन:- 
  • यहाँ की प्रमुख विशेषता जोहड़ है 
  • कुए को ही जोहड़ कहते है 
  • घास के मैदान और चरागाह को बिड कहते है 
  • शेखावटी प्रदेश – आतंरिक अपवाह  क्षेत्र

 

  • यहाँ कांतली नदी का अपवाह क्षेत्र है 
  • कातली नदी :- खंडेला क्षेत्र सीकर से निकलती है 
  • – कोछोर झील से निकलती है 
  • विस्तार – चूरू, झुंझुनू, सीकर
4. घग्घर बेसिन:- 
  • इसमें घग्घर नदी प्रवाहित होती है 
  • इसमें गंगानगर और हनुमानग़ढ सामील है 
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